उड़ान से पहले ही विकलांग मासूमों की शिक्षा के पर कतरने की तैयारी शुरू हो गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित प्री इंटीग्रेशन कैंप के मूकबधिर व नेत्रहीन बच्चों की उम्मीदें बजट कटौती में दफन होने जा रही हैं। राज्य परियोजना के निर्देशों से विशिष्ट आवश्यकता वाले (CWSN) बच्चों को पाठ्यक्रम पूर्ण कराए बिना और बगैर परीक्षा के ही घर भेजने का ताना बाना बुन गया है। कैंप में पढ़ाई कर रही मां की ममता के आंचल से वंचित और गरीब पिता की नेत्रहीन बेटी राधा को अब कैसे मिलेगा शिक्षा का अधिकार।
इन दिनों स्कूल चलो अभियान का चारों ओर खूब शोर है। शिक्षा का हक दिलाने को गांव-गांव कार्ययोजना बनीं लेकिन विकलांग मासूमों का हक छिनने जा रहा है। राज्य परियोजना निदेशक अमृता सोनी का 17 अप्रैल को जारी पत्र आया, इसकी चक-चक मासूमों के जहन में छुरी जैसी लग गई। पत्र में बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वर्ष 2013-14 की वार्षिक कार्ययोजना व बजट में एक प्री इंटीग्रेशन कैंप के लिए 1 लाख 82 हजार 7 सौ 23 रुपये की धनराशि खर्च कर कैंप बंद करने की कार्रवाई कर दी जाए।
जनपद में 2 कैंप संचालित हैं, एक आवासीय कैंप में वार्डेन को 13 हजार रुपए, 4 शिक्षकों को 12 हजार के हिसाब से 48 हजार रुपए, 3 केयर टेकर को 4200 के हिसाब से 12600 रुपए, 60 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से 30 दिन की दैनिक उपयोग सामग्री के 18 हजार रुपए, 50 रुपए की दर से 60 बच्चों व 8 कर्मचारियों के 30 दिन के भोजन के 1 लाख 2 हजार रुपए मिलाकर कुल 1 लाख 93 हजार 600 रुपए का खर्च है। परियोजना निदेशक ने जो धनराशि अनुमन्य की है, उससे तो यह कैंप बमुश्किल अप्रैल तक ही चल पाएगा जबकि मई में पाठ्यक्रम पूर्ण होना था। फिर परीक्षा व रिजल्ट मिलने की उम्मीदें मासूम लगाए थे। केन्द्र सरकार द्वारा बजट काट दिया गया है। पैसा समाप्त होते ही कैंप बंद करने होंगे।
यह कैंप विकलांगों से अधिक डीसी समेकित शिक्षा ओर बीएसए की आर्थिक संपन्नता का कारण रहे हैं। डीसी समेकित शिक्षा राजेश वर्मा ने शहर में अकूत संपत्ति कैसे एकत्र कर ली। वार्डेन और इंट्रीनेट टीचर्स का दैहिक शोषण सामान्य बात है। एक इंट्रीनेरेंट टीचर तो केवल बीएसए की आरटीआई की तारीखों के लिये ही रिजर्व है। विकलांगों की आड़ में सरकार और जनता के पैसे के दुरुपयोंग को रोकने की यह दैवीय युक्ति है।
ReplyDeleteयही कारण है कि बीएसए और डीसी के पेट में दर्द हो रहा है। कितने बच्चों को एमडीएम नहीं मिलता, कितने बच्चे स्कूल न जाकर घर बैठै मुफ्त का वेतन लूट रहे शिक्षकों के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, बच्चों की ड्रेस के नाम कितने का घोटाला हुआ, भवन निर्माण के नाम पर कमीशन का कैसा खेल विभाग में चल रहा है, आज तक इस बारे में कोई पोस्ट नहीं डाली बीएसए ने। धिक्कार है बगुला भगतों पर।
Deleteपाठक महोदय, भष्टाचार बीएसए आफिस में ही नहीं है, पूरे देश में है। चाहे सरकारी या गैर सरकारी विभाग हो, प्रत्येक स्थान पर भ्रष्टाचार में लिप्त है। अपने देश मे न्याय पालिका हो, कोई अस्पताल हो या मीडिया हो, प्रत्येक जगह भ्रष्टाचार में व्याप्त है। यदि किसी घोटाले को आप दिखाना चाहते है, तो आपके समक्ष कई विकल्प है, जहॉ पर आप अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकते है। आपको एक बात बताना चाहता है, आज हमारा मीडिया भी भ्रष्टाचार में पूर्णत लिप्त हो गया है। कुछ छुटभइया बिना डिग्री के खबरिया बनकर जनता को घुमराह कर रहे है। अपने को न्यूज इडीटर बताने वाले लोग न्यूज चैनल को कापी, पेस्ट कर न्यूज को लजीज बनाकर जनता के साथ धोखा कर रहे है, जनता को सही मार्ग बताने की बजाये अपना उल्लू सीधा करते है ताकि उनका प्रचार-प्रसार हो। देखा जाये तो यह भी एक भ्रष्टाचार श्रेणी में ही आता है
ReplyDeleteकिसी व्यक्ति ने कहा है- आज के समय में वही इमानदार है, जिसे मौका नहीं मिला।
अन्त में यही कहॅगा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अन्दर की कमियों को झांक कर देखें।