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Sunday, 31 March 2013

आज से बच्चों को होगा शिक्षा का पूरा अधिकार


आज से देश के हर बच्चे को अपने घर पड़ोस में निशुल्क प्राथमिक शिक्षा पाने का अधिकार होगा। केंद्र व राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि वे 6 से 14 साल की उम्र के हर बच्चे को प्रवेश के लिए पर्याप्त स्कूल, शिक्षक तथा अन्य जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए।
देश में शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) को लागू करने के बाद सरकारों की जरूरी संसाधन जुटाने के लिए तीन साल की मोहलत दी गई थी, जो पूरी हो गई है, लेकिन तमाम उपाय अब भी अधूरे हैं। स्कूलों में 11 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं तो आठ लाख से ज्यादा शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। हजारों निजी स्कूलों को अभी तक मान्यता नहीं मिली है, जिन्हें नए कानून के अनुसार अब बंद करना होगा। 
स्कूली शिक्षा को संवैधानिक अधिकार के लिए वर्ष 2002 में 86वें संविधान में अनुच्छेद 21-ए जोड़ा गया था। तब से दस साल गुजर गए। पहले सर्वशिक्षा अभियान चलाया गया। फिर राइट टू एजूकेशन बिल के माध्यम से इस अधिकार को अप्रैल 2010 में लागू किया गया। बच्चों को शिक्षा के अधिकार का प्रस्ताव तीन साल के लिए स्थगित रखा गया था।
सबसे बड़ा संकट देश के उन बड़े राज्यों के सामने है जो पहले से शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हुए थे। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं।
पूरे देश में सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों में 11.87 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। इनमें से तीन लाख से ज्यादा सीटें अकेले यूपी में खाली हैं।
आरटीई में सभी शिक्षकों का प्रशिक्षित होना जरूरी है। देश में 8.6 लाख शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। केंद्र सरकार ने फिर से 13 राज्यों को अप्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती करने की छूट दे दी है। हर स्कूल में मैनेजमेंट कमेटी बनाने का प्रस्ताव है। आठवीं तक बच्चों को फेल न करने का फैसला तो लागू हो गया है, लेकिन बृहत्तर एवं सतत मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई) का प्रारम्‍भ नहीं किया जा सका है। 

क्या है प्रावधान

छह से 14 साल के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान
बच्चों को फीस नहीं देनी होगी, न ही यूनिफॉर्म, किताबें या ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च करना होगा
हर 60 बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो ट्रेंड शिक्षक रखना होगा
निजी शैक्षणिक संस्थानों में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित

साक्षर भारत मिशन योजना के संचालन का विस्‍तारणीकरण-

निदेशक, साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा एवं राज्‍य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के आदेश दि0 30-03-2013 के क्रम में साक्षर भारत मिशन योजना को विधिवत संचालित करने के निर्देश जारी किये है। उक्‍त आदेश के क्रम में अवगत कराया है कि साक्षर भारत योजना को 12वीं पंचवर्षीय योजना में संचालित रखा जायेगा अर्थात उक्‍त योजना 31 मार्च 2017 तक प्रभावी रहेगी। 

उक्‍त के सम्‍बन्‍ध में अवगत कराना है कि दिनांक 4 जून, 2009 को सरकार ने राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन को पुन: शुरू करने के अपने निर्णय की घोषणा की। साक्षर भारत, एनएलएम का नया रूप, की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री द्वारा दिनांक 8 सितम्‍बर, 2009 को की गई थी। इसे 1 अक्‍तूबर, 2009 से संचालित कर दिया गया है। साक्षर भारत ने मूल साक्षरता को सुधारने के लिए स्‍वयं सेवा आधारित दृष्‍टिकोण को अपनाया है। इसमें - 
(i) 11वीं योजना की समाप्‍ति तक 80 प्रतिशत साक्षरता प्राप्‍त करने, (ii) साक्षरता में क्षेत्रीय विषमता को कम करने और (iii) साक्षरता में महिला-पुरूष के अंतर को कम करने की अभिकल्‍पना की गई है।
साक्षर भारत उन जिलों तक सीमित रहेगा जिनमें वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार प्रौढ़ महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत या उससे कम है। 25 राज्‍यों एवं एक संघ शासित प्रदेश में इस मानदण्‍ड के अंतर्गत 365 जिलों को चिन्‍हित किया गया। इसके अतिरिक्‍त वामपंथी चरमपंथ से अत्‍यधिक प्रभावित 35 जिलों को भी उनकी प्रौढ़ महिला साक्षरता दर पर ध्‍यान दिए बिना शामिल किया गया है। साक्षर भारत का मुख्‍य ध्‍यान महिलाओं पर परंतु पुरूषों को भी इनके दायरे से बाहर नहीं रखा गया है।
साक्षर भारत को देश की प्रत्‍येक महिला को साक्षर करने के सरकार के निर्णय के छ: महिने की अवधि के भीतर अर्थात दिसम्‍बर, 2009 से शुरू कर दिया गया। 73वें संवैधानिक संशोधन के दृष्‍टिगत, साक्षर भारत कार्यक्रम का कार्यान्‍वयन पंचायती राज संस्‍थाओं के माध्‍यम से किया गया। यह भी निर्णय किया गया है कि इस कार्यक्रम को 11वीं योजनावधि के दौरान चरणबद्ध ढंग से कार्यान्‍वित किया जाएगा। तदनुसार, इस मिशन को वर्ष 2009-10 के दौरान 81000 ग्राम पंचायतों को शामिल करते हुए 19 राज्‍यों के 167 जिलों तक विस्‍तारित किया गया। कुल मिलाकर इन जिलों में 3.83 करोड़ निरक्षर प्रौढ़ों को फायदा पहुंचने का अनुमान है। भारत सरकार के हिस्‍से में से मार्च, 2010 तक प्रथम किस्‍त के रूप में 325.98 करोड़ रूपए जारी किया गया था। वर्ष 2010-11 के दौरान लगभग 40000 ग्राम पंचायतों में 1.77 करोड़ निरक्षरों को इस स्‍कीम के अंतर्गत लाने के लिए इसमें 118 और जिलों को शामिल किया गया।
प्रभावी एवं अच्‍छे कार्यान्‍वयन तथा मॉंनीटरिंग हेतु साक्षर भारत कार्यक्रम में निम्‍नलिखित का प्रावधान किया गया है:-
  • -    राज्‍य (एसएलएमए) स्‍तर पर एक बचत खाते को खोलने के अतिरिक्‍त जिला, ब्‍लॉक एवं ग्राम पंचायत स्‍तर पर अनुपूरक खातों को खोलना।
  • राज्‍य स्‍तर पर एसएलएमए के अतिरिक्‍त ग्राम पंचायत, ब्‍लॉक एवं जिला स्‍तर पर साक्षरता समितियों का गठन करना। 
  •  उच्‍च ब्‍याज दर प्राप्‍त करने के लिए खाते में शेष राशि का सावधि जमा में स्‍वत: ही अंतरण होना।
  •  संभावित सीखने वालों की पहचान करने के लिए राज्‍यों द्वारा एक घरेलू सर्वेक्षण किए जाने की आवश्‍यकता है।
  •  संभावित सीखने वालों की पहचान करने के अतिरिक्‍त, राज्‍यों द्वारा साक्षरता कक्षाओं तथा सर्वेक्षण के दौरान बैच मिलान के लिए स्‍वैच्‍छिक अध्‍यापकों की पहचान करना भी आवश्‍यक है।
  •  प्रत्‍येक ग्राम पंचायत में एक एईसी की स्‍थापना करने हेतु पूर्ववर्ती एनसीईसी/सीईसी का विलयन करना।
  •  जहां कहीं भी पूर्ववर्ती सीई कार्यक्रम के अंतर्गत कोई एनसीईसी/सीईसी नहीं था वहां नए एईसी की स्‍थापना करना।