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Thursday, 8 August 2013

प्राथमिक स्कूलों में नहीं रखे जाएंगे शिक्षामित्र-

 सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने लगाई मुहर
 कहा शिक्षामित्र योजना वापस लेना सरकार का नीतिगत निर्णय

इलाहाबाद। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति नहीं करने के सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट की मुहर लग गई है। तीन जजों की पूर्णपीठ ने इस विधिक प्रश्न का समाधान करते हुए कहा है कि दो जून 2010 का शासनादेश आने के बाद चयनित शिक्षामित्रों को नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं रहा। पूर्णपीठ ने यह भी तय किया कि चयन हो जाने का मतलब नियुक्ति पाने का हकदार होना नहीं है। दो जून के शासनादेश द्वारा प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षामित्रों की तैनाती की योजना वापस ले ली है। कोर्ट ने इसे सरकार का नीतिगत मामला बताते हुए कहा कि इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हाईकोर्ट में सैकड़ों शिक्षामित्र अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर कहा कि वर्ष 2009-10 सत्र के लिए उनका चयन शिक्षामित्र के लिए किया गया। चयनित होने के बाद उनको न तो प्रशिक्षण पर भेजा गया और न ही नियुक्ति दी गई। प्रदेश सरकार ने दो जून 2010 को शासनादेश जारी कर शिक्षामित्रों की योजना ही वापस ले ली है। याचियों का तर्क था कि चूंकि उनका चयन दो जून 2010 से पूर्व हो चुका है इसलिए उनको नियुक्ति पाने का अधिकार है। सरकार के निर्णय का भूतलक्षी प्रभाव नहीं हो सकता है।
प्रकरण को एकल न्यायपीठ ने पूर्णपीठ के लिए इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए संदर्भित किया क्या शासनादेश जारी होने के बाद पूर्व में चयनित हो चुके शिक्षामित्रों को नियुक्ति पाने का अधिकार है अथवा नहीं। प्रदेश सरकार का कहना था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रभाव में आ जाने के कारण और एनसीटीई द्वारा न्यूनतम अर्हता निर्धारित कर देने के बाद शिक्षामित्र योजना को वापस लेने की आवश्यकता महसूस की गई।
न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति प्रकाश कृष्ण और न्यायमूर्ति संजय मिश्र की पूर्णपीठ ने प्रकरण सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षामित्र नियमित कर्मचारी नहीं हैं। वह 11 माह की संविदा पर नियुक्त होते हैं और यदि उनका कार्य संतोषजनक रहा तो अगले सत्र के लिए पुन: 11 माह हेतु उनका कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है। मौजूदा प्रकरण में याचीगण पूर्णरूप से चयनित नहीं हैं और यदि चयनित भी होते तो उससे नियुक्ति पाने का अधिकार उत्पन्न नहीं होता है।

यहां तक कि ग्रामशिक्षा समितियों ने जिन लोगों के नामों की संस्तुति दो जून 2010 से पूर्व कर दी थी उनको भी नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं है। पूर्णपीठ ने इस निरीक्षण के बाद प्रकरण वापस एकल न्यायाधीश के पास भेज दिया है। (साभार-:-अमर उजाला)

जिलाधिकारी महोदय श्री पवन कुमार एवं सिटी मजिस्‍ट्रेट श्री प्रभुनाथ द्वारा आज कार्यालय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रूखाबाद का आकस्मिक निरीक्षण -

आज दि0 08-08-2013 अपरान्‍ह 12 बजे जिलाधिकारी महोदय श्री पवन कुमार एवं सिटी मजिस्‍ट्रेट श्री प्रभुनाथ द्वारा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रूखाबाद कार्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया गया, निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी महोदय सर्व प्रथम एम0डी0एम0 कार्यालय में जाकर मिड डे मील से सम्‍बन्धित जानकारी प्राप्‍त की। तदपरान्‍त कार्यालय के बैठकर समस्‍त जिला समन्‍वयक, सर्व शिक्षा अभियान/साक्षर भारत मिशन की समीक्षा बैठक आहूत की गई। समस्‍त जिला समन्‍वयकों द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के संचालित कार्यक्रमों जैसे स्‍कूल चलो अभियान, नामांकन, निर्माण की प्रगति रिपोर्ट ली गई, रिपोर्ट के आधार पर पाई गई कमियों को दूर करने हेतु निर्देश दिये गये। सर्व शिक्षा अभियान के अन्‍तर्गत उपलब्‍ध प्राप्‍त आय-व्‍यय की समीक्षा की गई। समेकित शिक्षा के अर्न्‍तगत प्री-इन्‍टीग्रेशन कैम्‍प चालू करने हेतु निर्देश दिये गये। 
अर्न्‍तजनपदीय स्‍थानान्‍तरण के उपरान्‍त बन्‍द एवं एकल विद्यालयों की समीक्षा भी की गई। विदित हों कि अर्न्‍तजनपदीय स्‍थानान्‍तरण के फलस्‍वरूप जनपद में लगभग एक सैकड़ा विद्यालय बन्‍द की स्थिति में है तथा लगभग 600 विद्यालय एकल है। बन्‍द विद्यालयों पर अन्‍यन्‍त चिन्‍ता जाहिर की गई। साथ ही उपस्थिति पंजिका का भी अवलोकन किया गया। 


एक हजार से ज्‍यादा फर्जी शिक्षक हुए भर्ती, सी0बी0सी0आई0डी0 तफतीश में जुटी ( साभार-हिन्‍दुस्‍तान लखनऊ )