शिक्षा विभाग के निशाने पर अब दागी अफसर हैं। इन दागी अफसरों को फील्ड से हटाकर विभागीय कार्यों में लगाया जाएगा। इसके आधार पर ही शिक्षा विभाग में व्यापक पैमाने पर फेरबदल की तैयारी है। निदेशालय स्तर ने 67 अधिकारियों को इधर-उधर करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था जिसे अनुमोदित करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया है। वहां से मंजूरी मिलते ही आदेश जारी कर दिया जाएगा। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यह तय किया गया था कि दागी और जांच में फंसे अफसरों को जिलों में तैनाती नहीं दी जाएगी। इसके लिए एक दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ से अधिक अफसरों के स्थानांतरण किए गए, लेकिन सरकार अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाई। दागी और जांच में फंसे अफसर जुगाड़ के बल पर पोस्टिंग पाने में सफल रहे। कुछ अफसर बीएसए नहीं बन पाए तो प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक बन गए। ये अधिकारी आज भी सरकार की किरकिरी कराने से नहीं चूक रहे हैं। इसमें ताजा उदाहरण के प्रतापगढ़ के बीएसए ही हैं। सिलाई मशीन घोटाले में शामिल होने के बाद भी वह इस सरकार में बीएसए बनने में सफल रहे, जिन्हें बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इसके अलावा भी कई ऐसे अफसर हैं जो दागी होते हुए थी जिलों में तैनात हैं। स्थिति यह है कि इन अफसरों के चलते ही शिक्षा विभाग की छवि धूमिल हो रही है। काम कराने के लिए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए शिक्षा विभाग चाहता है कि दागी अफसरों को हटाकर उनके स्थान पर अच्छे अफसरों की तैनाती की जाए। माध्यमिक व बेसिक शिक्षा निदेशालय ने 67 अफसरों को जिलों में बदलने का प्रस्ताव भेजा है। इसमें 45 जिला विद्यालय निरीक्षक और 22 बेसिक शिक्षा अधिकारी स्तर के अधिकारी हैं। निदेशालय ने कुछ ऐसे अधिकारियों के नाम भी शामिल कर लिए हैं जो जिलों में जाना नहीं चाहते हैं। उनका मानना है कि आज के दौर में जिलों में काम करना आसान नहीं है।
तीस बच्चों पर तैनात होंगे अब एक शिक्षक
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम में निर्धारित मानक के अनुसार अब 30 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात किए जाएंगे। मानक के विपरीत शिक्षकों की तैनाती पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने इस संबंध में मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के शिक्षकों को साल में एक बार एक-दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाता है। बीएसए इस समायोजन के नाम पर जमकर खेल करते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि वे सड़क के किनारे और शहरी सीमा से सटे या मनचाहे स्कूलों में समायोजन के नाम पर मोटी कमाई करते हैं। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की ओर से जारी आदेश में भी समायोजन में अनियमितता बरते जाने की शिकायतें मिलने की बात कही है। इसमें यह भी कहा गया है कि शहरी क्षेत्र के समीप स्कूलों में अधिक शिक्षक तैनात कर दिए जाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल शिक्षक विहीन हो जाते हैं या फिर एक ही शिक्षक रह जाता है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।