894043 अभ्यर्थियों ने भरे थे फार्म, आवेदकों की गलती से ही रद्द हुए आवेदन
इन वजहों से निरस्त हुए• फार्म में फोटो स्कैन करके नहीं लगाई गई
• स्नातक में 45 प्रतिशत से कम अंक वालों ने भी कर दिए आवेदन
• मोअल्लिम डिग्रीधारियों ने उच्च प्राथमिक भाषा की जगह भरा उच्च प्राथमिक का फार्म
• प्राइवेट कॉलेजों से एनटीटी करने वाले आवेदकों ने भी कर दिया आवेदन
यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी-2013) के आवेदन में लापरवाही करना कुछ अभ्यर्थियों को भारी पड़ गया। फार्म भरने में हुई गलती की वजह से एक लाख 28 हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए। शिक्षक बनने की राह में बाधा आती देख अभ्यर्थियों ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की दौड़ लगानी शुरू कर दी है। सोमवार को सैकड़ों अभ्यर्थियों ने आवेदन में सुधार के लिए प्रार्थना पत्र दिए। हालांकि अभ्यर्थियों को मौका मिलने की संभावना कम है।
टीईटी के लिए इस बार भी ऑनलाइन आवेदन हुए। अभ्यर्थियों से गलती इसी मोर्चे पर हुई। ग्रामीण अंचल के अभ्यर्थियों ने आवेदन के लिए साइबर कैफे पर दूसरों का सहारा लिया और गड़बड़ी हो गई। अधिकांश आवेदन छोटी-मोटी गलतियों की वजह से निरस्त हुए हैं। अभ्यर्थियों ने इंटर के कॉलम में बीएड के और बीएड के कॉलम में बीए के अंक भर दिए। मोअल्लिम डिग्री धारकों ने उच्च प्राथमिक स्तर भाषा की जगह उच्च प्राथमिक पात्रता परीक्षा का फार्म भर दिया। मोअल्लिम इसके लिए अर्ह नहीं हैं। अभ्यर्थियों ने शर्तों को भी ध्यान से नहीं पढ़ा। अंकों की बाध्यता को ध्यान में रखे बगैर फार्म भर दिए। स्नातक में 45 प्रतिशत और बीएड में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने वालों को ही आवेदन के योग्य माना गया था लेकिन ऐसे लोगों ने भी आवेदन कर दिया जिनके अंक कम हैं। प्राइवेट कॉलेज से एनटीटी करने वालों ने भी आवेदन कर दिया। इस कारण उनके आवेदन भी निरस्त कर दिए गए। नियमानुसार राज्य सरकार से संबद्धता प्राप्त संस्थान से कोर्स करने वाले ही आवेदन कर सकते हैं।
जल्दबाजी में कुछ अभ्यर्थी फार्म फीडिंग करने के बाद अपनी फोटो स्कैन कर डालना भूल गए। करीब 20 हजार अभ्यर्थियों के आवेदन इसलिए निरस्त हुए क्योंकि फार्म में फोटो नहीं थी। जिन अभ्यर्थियों ने फार्म भरते वक्त लापरवाही बरती, अब गलती सुधरवाने के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर जानकारियां सही नहीं थीं तो फार्म कंप्लीट ही नहीं होने चाहिए थे। आवेदक चाहते हैं कि उनको भूल सुधार का मौका दिया जाए। ऐसा न होने पर शुल्क लौटाया जाए। सोमवार को भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सचिव कार्यालय पहुंचे। हालांकि उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अभ्यर्थियों के अनुरोध पर प्रार्थना पत्र जरूर ले लिए गए। हालांकि अभ्यर्थियों को दोबारा मौका मिलने की संभावना काफी कम है।
टीईटी के लिए इस बार भी ऑनलाइन आवेदन हुए। अभ्यर्थियों से गलती इसी मोर्चे पर हुई। ग्रामीण अंचल के अभ्यर्थियों ने आवेदन के लिए साइबर कैफे पर दूसरों का सहारा लिया और गड़बड़ी हो गई। अधिकांश आवेदन छोटी-मोटी गलतियों की वजह से निरस्त हुए हैं। अभ्यर्थियों ने इंटर के कॉलम में बीएड के और बीएड के कॉलम में बीए के अंक भर दिए। मोअल्लिम डिग्री धारकों ने उच्च प्राथमिक स्तर भाषा की जगह उच्च प्राथमिक पात्रता परीक्षा का फार्म भर दिया। मोअल्लिम इसके लिए अर्ह नहीं हैं। अभ्यर्थियों ने शर्तों को भी ध्यान से नहीं पढ़ा। अंकों की बाध्यता को ध्यान में रखे बगैर फार्म भर दिए। स्नातक में 45 प्रतिशत और बीएड में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने वालों को ही आवेदन के योग्य माना गया था लेकिन ऐसे लोगों ने भी आवेदन कर दिया जिनके अंक कम हैं। प्राइवेट कॉलेज से एनटीटी करने वालों ने भी आवेदन कर दिया। इस कारण उनके आवेदन भी निरस्त कर दिए गए। नियमानुसार राज्य सरकार से संबद्धता प्राप्त संस्थान से कोर्स करने वाले ही आवेदन कर सकते हैं।
जल्दबाजी में कुछ अभ्यर्थी फार्म फीडिंग करने के बाद अपनी फोटो स्कैन कर डालना भूल गए। करीब 20 हजार अभ्यर्थियों के आवेदन इसलिए निरस्त हुए क्योंकि फार्म में फोटो नहीं थी। जिन अभ्यर्थियों ने फार्म भरते वक्त लापरवाही बरती, अब गलती सुधरवाने के लिए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर जानकारियां सही नहीं थीं तो फार्म कंप्लीट ही नहीं होने चाहिए थे। आवेदक चाहते हैं कि उनको भूल सुधार का मौका दिया जाए। ऐसा न होने पर शुल्क लौटाया जाए। सोमवार को भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सचिव कार्यालय पहुंचे। हालांकि उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अभ्यर्थियों के अनुरोध पर प्रार्थना पत्र जरूर ले लिए गए। हालांकि अभ्यर्थियों को दोबारा मौका मिलने की संभावना काफी कम है।