उत्तर प्रदेश में नर्सरी, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक हिंदी तथा अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को मान्यता देने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद ने नई नीति जारी कर दी है। नई नीति में स्कूलों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर जहां रोक लगा दी गई है, वहीं राजनीतिक व गैर शैक्षिक कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर दिया गया है। स्कूल के बाहरी भाग को सफेद रंग से पेंट कराया जाएगा ताकि उसकी पहचान हो सके। मान्यता के लिए आवेदन ऑनलाइन लिए जाएंगे। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने बुधवार को शासनादेश जारी कर दिया है। शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 लागू होने की तिथि से तीन वर्ष के अंदर पुराने स्कूलों को नई शर्तें पूरी करनी होंगी। अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य होगा। अल्पसंख्यक स्कूलों पर यह शर्त लागू नहीं होगी।
नई मान्यता नीति के मुताबिक स्कूल भवन नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार बनेंगे। स्कूल के शिक्षकों और कर्मियों को अग्निशमन उपकरणों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य सरकार इन स्कूलों को कोई अनुदान नहीं देगी।
हिंदी मीडियम की मान्यता शर्तें
नर्सरी स्तर के स्कूलों के लिए दो कक्षाएं तथा प्राथमिक स्तर के लिए पांच कक्षाएं तथा यदि उच्च्च प्राथमिक स्कूल के लिए तीन अतिरिक्त कक्षाएं जरूरी होंगी। निजी भवन होने या 10 वर्ष की लीज या किराए वाले भवनों को मान्यता देने पर विचार किया जाएगा। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल के लिए प्रति छात्र 9 फीट तथा क्लास रूम का पूरा क्षेत्रफल 180 वर्ग फीट से कम नहीं होना चाहिए। प्रत्येक क्लास रूम में 20 बच्चों के बैठने की व्यवस्था होगी। प्रधानाध्यापक व स्टाफ के लिए अलग कमरा होगा। प्राथमिक स्कूलों की मान्यता के लिए बीएसए की अध्यक्षता में समिति होगी।
•स्कूलों का नहीं हो सकेगा अब व्यावसायिक इस्तेमाल
•राजनीतिक व गैर शैक्षिक कार्यक्रम पर रोक
•ऑनलाइन लिया जाएगा आवेदन
एडी बेसिक की अध्यक्षता में समिति बनेगी और बीएसए सदस्य सचिव व वरिष्ठ खंड शिक्षा अधिकारी सदस्य होगा। प्री-प्राइमरी से प्राइमरी तक के लिए 200 बच्चे और 7 क्लास रूम, प्राइमरी के लिए 150 बच्चे 5 क्लास रूम, प्री-प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल तक के लिए 275 बच्चे 10 क्लास रूम तथा प्राइमरी से जूनियर हाईस्कूल के लिए 225 बच्चे और 8 क्लास रूम होने चाहिए। पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्र की छात्र संख्या में कम हो सकती है। क्लास रूम हिंदी माध्यम की तरह ही बनाए जाएंगे। प्री-प्राइमरी से प्राइमरी के लिए 2000 और जूनियर हाईस्कूल के लिए मान्यता शुल्क 3000 रुपये देना होगा। स्कूल के सुरक्षित कोष में 10,000 रुपये रखना होगा और गारंटी 20,000 रुपये की देनी होगी।
मानक और शर्तों को पूरा करने वाले नर्सरी, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को बेसिक शिक्षा परिषद से स्थायी मान्यता के लिए दोबारा आवेदन नहीं करना होगा। परिषद अब उन्हें तीन साल की अस्थायी मान्यता देगा। यदि स्कूल तीन साल तक सभी शर्तों और मानकों को पूरा करता है तो उसकी अस्थायी मान्यता को स्थायी मान लिया जाएगा। शासन ने यह भी तय किया है कि शर्तें पूरी न करने वाले स्कूल पर किसी किस्म का आर्थिक दंड नहीं लगाया जाएगा बल्कि उसकी मान्यता वापस ले ली जाएगी। मान्यता के लिए सभी स्कूलों का रंग सफेद होना चाहिए। खेल का मैदान न होने पर किसी स्कूल को मान्यता से वंचित नहीं किया जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी व हिंदी माध्यम के निजी नर्सरी, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को मान्यता देने के लिए मानक और शर्तों को संशोधित करते हुए बुधवार को शासनादेश जारी कर दिया है।
भौतिक संसाधन : विद्यालय सोसाइटी का निजी भवन होने या कम से कम 10 वर्ष तक किराये/लीज पर भवन उपलब्ध होने पर मान्यता पर विचार किया जा सकेगा। मान्यता के लिए प्रत्येक क्लासरूम का न्यूनतम क्षेत्रफल 180 वर्ग फीट होना चाहिए। प्रधानाध्यापक, कार्यालय और स्टाफ के लिए अलग-अलग कमरे होने चाहिए। छात्र-छात्रओं तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए अलग-अलग मूत्रलय व शौचालय होने चाहिए। स्कूल में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए। अधिकतम दो वर्ष में स्कूल के रंग रोगन की व्यवस्था की जाएगी।
शिक्षक : स्कूल में योग्यताधारी शिक्षक उपलब्ध होना जरूरी है। उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए हर कक्षा-कक्ष के लिए विज्ञान व गणित, सामाजिक अध्ययन व भाषा से संबंधित शिक्षक जरूर हों। बाल शिक्षा, शारीरिक शिक्षा तथा कार्यानुभव शिक्षा के लिए भी एक-एक शिक्षक होना चाहिए।
स्टेशनरी-कॉपियां खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे स्कूल
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से यह अपेक्षित होगा कि वे एनसीईआरटी या एससीईआरटी या बेसिक शिक्षा परिषद से अनुमोदित पाठ्यक्रम ही पढ़ायें। किसी खास तरह की स्टेशनरी खरीदने के लिए छात्रों पर दबाव न बनायें। न ही अभ्यास पुस्तिकाओं पर स्कूल का नाम मुद्रित कराकर खरीदने के लिए मजबूर किया जाए वर्ना ऐसे स्कूलों की मान्यता वापस ले ली जाएगी।
अंग्रेजी स्कूलों को छात्र संख्या के आधार पर मान्यता
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को मान्यता तभी मिलेगी जब स्कूल के कैचमेंट एरिया में न्यूनतम छात्र संख्या उपलब्ध हो सके। प्री-प्राइमरी व प्राइमरी के लिए न्यूनतम छात्र संख्या 200 (सात कक्षाएं) होगी।
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