केंद्र
सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के लिए
लगभग 9000 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना को मंजूरी दे
दी है। सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने राज्य सरकार के
प्रस्ताव में नये निर्माण कार्यों को स्वीकृति देने से जहां परहेज किया है, वहीं शिक्षामित्रों
का मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर उसने गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार ने 11892 करोड़ की वार्षिक
कार्ययोजना को केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा था।
आठ अप्रैल
को हुई सर्व शिक्षा अभियान के पीएबी की बैठक में नये स्कूलों, अतिरिक्त क्लासरूम, विद्यालयों में
चहारदीवारी निर्माण जैसे कार्यों के प्रस्तावों के लिए धनराशि देने से फिलहाल हाथ
खींच लिया है। यह कहते हुए कि पहले राज्य सरकार राजस्व अधिकारी की ओर से जारी किया
गया प्रमाणपत्र दे कि स्कूलों के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध है। राज्य सरकार ने
चालू वित्तीय वर्ष में सूबे में 1497 नये प्राथमिक
विद्यालय और 237 जूनियर हाईस्कूल,
6140 अतिरिक्त क्लासरूम, 42,201 स्कूलों में
चहारदीवारी के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। नगरीय क्षेत्रों के बेघर
बच्चों के लिए 14 जिलों में आवासीय विद्यालय खोलने के
प्रस्ताव को भी केंद्र ने मंजूरी नहीं दी है।
स्कूली
बच्चों को दो सेट नि:शुल्क यूनीफॉर्म के साथ जूता-मोजा उपलब्ध कराने के लिए
अतिरिक्त धनराशि न देकर केंद्र ने राज्य सरकार की इस मंशा को भी झटका दिया है।
शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति माह
करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने कहा है कि यदि मानदेय वृद्धि के
बारे में राज्य की ओर से शासनादेश जारी कर दिया जाता है तो केंद्र अपने हिस्से की
धनराशि जारी कर देगा। सोनभद्र, चंदौली और
मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 1553 स्कूलों के 6212 शिक्षकों को 1500 रुपये प्रति माह की
दर से प्रोत्साहन भत्ता देने के राज्य सरकार के इरादे पर भी केंद्र ने पानी फेर
दिया है। केजीबीवी के स्टाफ के वेतन के लिए निर्धारित सीमा बढ़ाने को भी केंद्र ने
स्वीकृति नहीं दी है।
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