दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए शनिवार शाम एक घंटे के लिए गैर जरूरी बिजली के उपकरण को बंद करने का आह्वान किया गया है। हर साल की तरह इस बार भी अमेरिका से लेकर जापान तक और रूस से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक दुनिया के सभी देश एक घंटे तक बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं करेंगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम हो सके।
अमेरिका के व्हाइट हाउस से लेकर ऑस्ट्रेलिया के ओपेरा हाउस तक शाम के समय पीक आवर में अंधेरा रहेगा। आगरा का ताजमहल, दिल्ली के सभी पर्यटन स्थलों से लेकर सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में भी इसका पालन किया जाना है। सभी आम और खास से अपील की गई है कि वह बिजली की खपत को पृथ्वी की लंबी आयु के लिए एक घंटा न्यूनतम कर दें। इस दौरान लोग बल्ब या ट्यूब लाइट जलाने के बजाय मोमबत्ती से काम चलाएंगे।
भारत के समस्त बिजली कंपनियों ने अपने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे शाम साढ़े आठ से साढ़े नौ बजे तक अनावश्यक बत्तियां और बिजली चालित उपकरणों को बंद रखें। बिजली कंपनी बीएसईएस ने अपने 28 लाख उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे शनिवार, 23 मार्च को अर्थ आवर में बढ़चढ़कर हिस्सा लें और रात 8.30 से 9.30 बजे के बीच स्वेच्छा से अपने घरों व दफ्तरों की गैरजरूरी बत्तियां व उपकरण बंद रखें। बीएसईएस खुद भी अपने 400 से अधिक कार्यालयों में अर्थ आवर के दौरान गैर जरूरी बत्तियां बंद रखेंगी। देश में इस बार अर्थ आवर का पार्टनर स्टेट दिल्ली है।
अर्थ आवर, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर/ वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड) का वार्षिक कार्यक्रम है। पिछले कुछ सालों से, दिल्ली अर्थ आवर के दौरान सर्वाधिक बिजली बचाती आ रही है। पिछले साल दिल्ली को अर्थ आवर चैंपियन सिटी घोषित किया गया था। 2012 में अर्थ आवर के दिन बड़े शहरों के बीच एक प्रतियोगिता रखी गई थी, जिसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरू ने हिस्सा लिया था।
पिछले साल अर्थ आवर में दिल्ली में करीब 295 मेगावॉट बिजली की बचत की थी। अर्थ आवर मुहिम को सफल बनाने के लिए बिजली कंपनी बिजली बिलों के साथ भेजे गए न्यूज लेटर सिनर्जी के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं से अर्थ आवर में सहयोग देने का अनुरोध कर रही हैं।
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