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Tuesday 14 May 2013

शिक्षण सस्थानों में नैतिक मूल्यों की जानकारी दी जानी चाहिए : राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने समाज में महिलाओं एवं बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमारे शिक्षण संस्थानों और विशेष रूप से विश्वविधालयों में नैतिक मूल्यों की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में महिलाओं के सम्मान की परम्परा रही है। इसे मजबूत किया जाना चाहिए। 
राष्ट्रपति दि0 10-05-2013 को लखनउ में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविधालय, लखनऊ के चौथे दीक्षान्त समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने डा0 भीमराव अम्बेडकर को एक महान शिक्षाविद एवं समाज सुधारक बताते हुए विश्वविधालय से उनके दशर्न के अनुरूप कार्य करने का आग्रह किया। भारत में उपलब्ध कार्यकारी जनसंख्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सन 2020-21 में लगभग 64 फीसदी वर्किग जनसंख्या होगी। उन्होंने कहा कि इस विशाल जनसंख्या का लाभ उठाने के लिए हमें नौजवानों को स्वस्थ्य एवं निपुण बनाना होगा। उन्होंने कहा कि कार्यकुशल जनसंख्या हमारे लिए एक लाभकारी तत्व हो सकती है। 
देश में स्थापित विश्वविधालयों एवं महाविधालयों की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग प्रत्येक राज्य में कम से कम एक केन्द्रीय विधालय स्थापित है। लेकिन इनकी गुणवत्ता संतोषप्रद नहीं है। इसीलिए लगभग 02 लाख प्रतिभाशाली नौजवान विदेशों में शिक्षा ग्रहण कर रहे है। उन्होंने कहा कि हमें देश के शिक्षण संस्थानों के अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार के अलावा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा उपलब्ध करानी होगी। राष्ट्रपति ने प्रत्येक विश्वविधालय में कम से कम एक विभाग को एक्सीलेंट सेण्टर के रूप में विकसित करने, विश्वविधालयों में शोध को बढ़ावा देने तथा दूरस्थ छात्रों के लिए अच्छी पाठय सामग्री उपलब्ध कराने हेतु आर्0टी0 आधारित तकनीक के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि देश के  2विश्वविधालयों में लगभग 63 फीसदी अध्यापकों के पद रिक्त है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि इस गैप को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। देश भर में शिक्षण एवं शोध संस्थानों से इतर अभिनव प्रयोग करने वालों को विश्वविधालयों में फोरम उपलब्ध कराने का आहवान करते हुए बी.बी.ए.यू. के सहयोग से आयोजित उत्तर प्रदेश इनोवेशन प्रदर्शनी की प्रशंसा की तथा इसी प्रकार अन्य विश्वविधालयों से भी प्रयास करने का आग्रह किया। इस मौके पर राज्यपाल श्री बी.एल. जोशी ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए 
कहा कि उच्च शिक्षा से ज्ञान के विस्तृत क्षितिज तक पहु्चा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज डिग्री प्रप्त करने वाले नवयुवक वास्तव में भाग्यशाली है, क्योंकि भारत इस समय तेजी से प्रगति कर रहा है, जिससे इन्हें अपार सम्भावनाएं उपलब्ध होगी। 
इससे पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने डिग्री प्रप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई  देते हुए उनका आहवान किया कि वे अपनी नई  सोच से देश एवं समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने का प्रयास करें। उन्हो्ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु विश्वविधालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया। श्री यादव ने कहा कि डा0 भीमराव अम्बेडकर शिक्षा को प्रगति का माध्यम मानते थे। उनका स्पष्ट मत था कि शिक्षा प्रप्त करने वाला समाज ही आगे बढ़ता है। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार का आग्रह करते हुए कहा कि आगे आने वाली पीढ़ी को शिक्षण संस्थानों में अच्छा माहौल उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया में अधिकांश देशों की आबादी उम्रदराज हो गई  है। जबकि भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की अधिकांश आबादी कम उम्र की है। उन्होने इस मानव संसाधन का लाभ उठाने के लिए युवाओ से व्यापक प्रयास करने की अपील करते हुए कहा कि नौजवानों को कौशल विकास का अवसर उपलब्ध होना चाहिए, जिससे आगे आने वाले अवसर का लाभ उठाकर देश एवं समाज की 
प्रगति में सहयोग कर सके।