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Wednesday 10 April 2013

प्राथमिक शिक्षा के लिए 9000 करोड़ की कार्ययोजना मंजूर


केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत चालू वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के लिए लगभग 9000 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना को मंजूरी दे दी है। सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने राज्य सरकार के प्रस्ताव में नये निर्माण कार्यों को स्वीकृति देने से जहां परहेज किया है, वहीं शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर उसने गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार ने 11892 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना को केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा था।
आठ अप्रैल को हुई सर्व शिक्षा अभियान के पीएबी की बैठक में नये स्कूलों, अतिरिक्त क्लासरूम, विद्यालयों में चहारदीवारी निर्माण जैसे कार्यों के प्रस्तावों के लिए धनराशि देने से फिलहाल हाथ खींच लिया है। यह कहते हुए कि पहले राज्य सरकार राजस्व अधिकारी की ओर से जारी किया गया प्रमाणपत्र दे कि स्कूलों के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध है। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में सूबे में 1497 नये प्राथमिक विद्यालय और 237 जूनियर हाईस्कूल, 6140 अतिरिक्त क्लासरूम, 42,201 स्कूलों में चहारदीवारी के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। नगरीय क्षेत्रों के बेघर बच्चों के लिए 14 जिलों में आवासीय विद्यालय खोलने के प्रस्ताव को भी केंद्र ने मंजूरी नहीं दी है।
स्कूली बच्चों को दो सेट नि:शुल्क यूनीफॉर्म के साथ जूता-मोजा उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त धनराशि न देकर केंद्र ने राज्य सरकार की इस मंशा को भी झटका दिया है। शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति माह करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने कहा है कि यदि मानदेय वृद्धि के बारे में राज्य की ओर से शासनादेश जारी कर दिया जाता है तो केंद्र अपने हिस्से की धनराशि जारी कर देगा। सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 1553 स्कूलों के 6212 शिक्षकों को 1500 रुपये प्रति माह की दर से प्रोत्साहन भत्ता देने के राज्य सरकार के इरादे पर भी केंद्र ने पानी फेर दिया है। केजीबीवी के स्टाफ के वेतन के लिए निर्धारित सीमा बढ़ाने को भी केंद्र ने स्वीकृति नहीं दी है।


भारत के राष्ट्रीय प्रतीक

ध्वज
राष्ट्रीय चिह्न
राष्ट्र-गान
जन गण मन
राष्ट्र-गीत
पशु
जलीय जीव
पक्षी
पुष्प
वृक्ष
फल
खेल
पञ्चांग


वन्‍देमातरम़ (संस्कृत मूल गीत)



वन्दे मातरम्।
सुजलां सुफलां मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।१।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदां वरदां मातरम् । वन्दे मातरम् ।।२।।

कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,
कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,
के बॉले माँ तुमि अबले,
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,
रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।३।।

तुमि विद्या तुमि धर्म,
तुमि हृदि तुमि मर्म,
त्वं हि प्राणाः शरीरे,
बाहुते तुमि माँ शक्ति,
हृदय़े तुमि माँ भक्ति,
तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।।४।।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदलविहारिणी,
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्,
सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।५।।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्,
धरणीं भरणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।६।।>

जन-गण-मन अधिनायक जय हे-



जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,
द्राविड़ उत्कल बंग ।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग ।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मागे;
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता ।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!!
जय ! जय ! जय ! जय हे !!

दया कर दान भक्ति का-

दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।

हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आखों में बस जाओ

अंधेरे दिल में आ कर के परम् ज्योति जगा देना।

बहा दो प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर

हमें आपस में मिलजुल कर, प्रभु रहना सिखा देना।

हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा, वो सेवकचर बना देना
 ।


वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना
वतन पर जाँ फ़िदा करना प्रभु हमको सिखा देना।

दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।

स्वर लिपि

देवनागरी
रोमन लिपि
सा रे ग ग ग ग ग ग ग - ग ग रे ग म -
sā rē ga ga ga ga ga ga ga - ga ga rē ga ma -
ग - ग ग रे - रे रे नि, रे सा -
ga - ga ga rē - rē rē ni, rē sā -
सा सा प - प प - प प प प - प म ध प म
sā sā pa - pa pa - pa pa pa pa - pa ma dha pa ma
म म - म म म - म ग रे म ग
ma ma - ma ma ma - ma ga rē ma ga
ग - ग ग ग - ग रे ग प प - म - म -
ga - ga ga ga - ga rē ga pa pa - ma - ma -
ग - ग ग रे रे रे रे नि, रे सा
ga - ga ga rē rē rē rē ni, rē sā
सा रे ग ग ग - ग - रे ग म - - - - -
sā rē ga ga ga - ga - rē ga ma - - - - -
ग म प प प - म ग रे म ग -
ga ma pa pa pa - ma ga rē ma ga -
ग - ग - ग रे रे रे रे नि, रे सा -
ga - ga - ga rē rē rē rē ni, rē sā -
सा सा प प प - प प प - प प म ध प म
sā sā pa pa pa - pa pa pa - pa pa ma' dha pa ma
म - म म म - म ग रे म ग -
ma - ma ma ma - ma ga rē ma ga -
सां नि सां - - - - -
ni sā - - - - -
नि ध नि - - - - -
ni dha ni - - - - -
ध प ध - - - - -
dha pa dha - - - - -
सा रे ग ग ग ग रे ग म - - - - -
sā rē ga ga ga ga rē ga ma - - - - -

इतनी शक्ति हमे देना दाता…


इतनी शक्ति हमे देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना..२)
हम चले नेक रस्ते पे हमसे भूल कर भी कोई भूल हो ना..२)
१) दूर अज्ञान के हो अंधेरे, तू हमे ज्ञान की रोशनी दे,
हर बुराई से बचकर रहे हम,जितनी भी भले ज़िंदगी दे..
बैर हो ना किसी का किसी से, भावना मन मे बदले की हो ना,
हम चले नेक रास्ते पे हम से, भूलकर भी कोई भूल हो ना..
इतनी शक्ति हमे दे ना दाता….
२) हम ना सोचे हमे क्या मिला है, हम यह सोचे किया क्या है अर्पण,
फूल खुशियों के बाँटे सभी को, सब का जीवन ही बन जाए मधुबन..
अपनी ममता का जल तू बहाके, कर दे पावन हरेक मन का कोना..
हम चले नेक रास्ते पे हम से, भूलकर भी कोई भूल हो ना..
इतनी शक्ति हमे देना दाता
!! इति !!

सरस्‍वती वन्‍दना


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥1
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌ ॥2
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत्‌ में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान्‌ बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ ॥2